यह प्रसिद्ध बौद्ध स्थल रीवा - इलाहाबाद राजमार्ग पर कटरा के निकट देउर कोठार ग्राम में स्थित है। यहां मौर्य एवं शुंगकालीन के विभिन्न प्रकार के पुरावशेष हैं, जिनमें स्तूप बिहार, भवन अवशेष इत्यादि है। सर्वेक्षण के अन्तर्गत कई चित्रित शैलाश्रय भी प्रकाश में आये हैं जिनमें आदि मानव द्वारा लाल एवं सफेद रंग के चित्र बनाये गये हैं। यहां तकरीबन 40 स्तूपों के अवशेष है जिससे यह प्रतीत होता है कि यहां बौद्ध धर्म का एक बहुत ही विकसित स्मारक रहा होगा। यह स्थान परिक्षेत्र सिरमौर के त्योंथर वनखण्ड के कक्ष क्र.पी 125 में स्थित है।
रीवा से 24 कि.मी. एवं गुढ़ से 5 कि.मी. दूर दक्षिण दिशा में हर्दी मार्ग पर कक्ष क्र. पी 053 में भैरव बाबा (शिव जी) की विशालकाय प्रतिमा लेटी हुई मुद्रा में विराजमान है जिसकी लम्बाई 5.63 मी. है। यह चर्तुभुजी विशाल प्रतिमा एक ही लाल बलुआ पत्थर की चट्टान को तराश कर बनाई गई है। इनके हाथो में विभिन्न अस्त्र हैं, संभवतः यह प्रतिमा समीपी किसी मंदिर में स्थापित किए जाने हेतु बनाई गई थी। समीप में ही पूर्व दिशा में एक पत्थर से तराशी गई हाथी की प्रतिमा भी है जो वर्तमान में गिरी हुई अवस्था में है।
यह शिवमंदिर रीवा से बनारस जाने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग क्र. 30 में मुख्यालय रीवा से 55 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। यहां भगवान शिव की पंचमुखी मूर्ति स्थापित है। यह किस वर्ष सम्वत में बनी है इसका कोई भी लेख मौजूद नही है किन्तु यहां की धार्मिक प्रसिद्धि दूर-दूर तक बनी हुई है। यहां वर्ष में कभी भी दर्शन हेतु जाया जा सकता है किन्तु सावन के महीने में यहां दर्शनार्थीयों का आवागमन अत्यधिक रहता है।
इसका निर्माण तत्कालीन राजा भवसिंह की रानी द्वारा सन् 1603 में कराया गया था। इसका क्षेत्रफल 6.07 हे0 व गहराई 4.57 मी. है। वर्तमान में उसका जीर्णोद्धार कराया गया है। तालाब में अच्छा जलभराव के कारण पर्यटकों के मनोरंजन के लिए नौकायन चालू की गई है। मंदिर के चारों ओर मेढ़ो पर फूलदार व छायादार वृक्षों का रोपण किया गया है जिससे यहां की छंटा मनोहरी लगती है। तालाब की मेढ़ में देवी जी व शनिदेव के मंदिर स्थित है जहां श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रहती है यह तालाब पूर्ण धार्मिक आस्था का केन्द्र है।